एडवोकेट शुभम भारद्वाज
हरिद्वार। गुरुकुल नारसन में बिजलीघर से की जा रही बिजली चोरी और स्मार्ट मीटर में छेड़छाड़ के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए यूपीसीएल मुख्यालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए विद्युत वितरण खंड रुड़की के प्रभारी अधिशासी अभियंता गुलशन बुलानी और मंगलौर के जेई अनुभव सैनी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। दोनों अधिकारियों को अलग-अलग मुख्य अभियंता कार्यालय से संबद्ध किया गया है।दो दिन पहले पुलिस ने वासू स्टील फैक्ट्री से जुड़े कर्मचारियों को पकड़कर पूछताछ की थी। कर्मचारियों ने फैक्ट्री के मीटर में गड़बड़ी कर बिजली चोरी की बात कबूल की। मौके पर जांच करने पहुंची यूपीसीएल की टीम ने पाया कि बिजलीघर के भीतर लगे मीटर से ही छेड़छाड़ कर बड़े पैमाने पर बिजली चोरी की जा रही थी। इस मामले में उपनल कर्मचारी अकरम अली समेत पाँच लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
यूपीसीएल निदेशक परिचालन एमआर आर्य ने अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करते हुए निलंबन की कार्रवाई की। वहीं, एमडी अनिल कुमार ने मामले की गहन जांच के लिए मुख्य अभियंता गढ़वाल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। यह समिति विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर फैक्ट्री मालिक पर भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
फैक्ट्री मालिक पर सवाल
गौरतलब है कि मुकदमा केवल फैक्ट्री कर्मचारियों पर दर्ज किया गया है, जबकि फैक्ट्री मालिक का नाम शामिल न होने से सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि कर्मचारियों के जरिए मालिक को बचाने की कोशिश की जा रही है।
ज्वालापुर में आरा मशीन से खुला बिजली चोरी का धंधा
उधर, ज्वालापुर क्षेत्र में भी बिजली चोरी का खेल खुलेआम जारी है। आर्य नगर चौक के पास एक आरा मशीन स्वामी द्वारा लगभग 20 ठेलियों को एक ही कनेक्शन से बिजली दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार आरा मशीन मालिक प्रति ठेली ₹500 वसूलता है, जिससे उसकी रोजाना लगभग ₹10,000 की कमाई हो रही है। स्थानीय लोगों ने इस मामले में बार-बार लिखित शिकायत की, लेकिन बिजली विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने से बचते नजर आ रहे हैं।
अधिशासी अभियंता का फोन तक न उठाना और कर्मचारियों तक लाभ पहुँचने की चर्चाओं ने विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बड़े पैमाने पर ऑडिट के आदेश
मामले को देखते हुए यूपीसीएल प्रबंधन ने रुड़की और भगवानपुर क्षेत्र की सभी स्टील फैक्ट्रियों और अन्य उच्च खपत वाले उद्योगों का एनर्जी अकाउंटिंग ऑडिट कराने का आदेश जारी किया है।
यह मामला अब केवल बिजली चोरी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विभागीय मिलीभगत और भ्रष्टाचार पर भी सवाल उठाता है।
