कुलदीप राय
हरिद्वार।
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने रविवार को एक बड़ी कार्यवाही करते हुए ऊपरी गंगा नहर के पुल जटवाड़ा के पास विभागीय भूमि से अवैध कब्जे हटवाए। लंबे समय से इस भूमि पर ट्रांसपोर्टरों द्वारा बड़ी-बड़ी गाड़ियां खड़ी की जा रही थीं, वहीं छोटे-छोटे होटल, ठेले और मोटर रिपेयरिंग की अस्थाई दुकानें भी बन गई थीं। इन अवैध कब्जों के चलते क्षेत्र में गंदगी और कूड़े के ढेर भी जमा हो गए थे।
अधिशासी अभियंता विकास त्यागी ने बताया कि
“सिंचाई विभाग की भूमि को पूरी तरह से कब्जा मुक्त करवाने के लिए अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं। हमारा उद्देश्य इस क्षेत्र को स्वच्छ और सुंदर बनाना है। विभाग ने यहां वृक्षारोपण कार्य प्रारंभ कर दिया है, और जल्द ही इस भूमि पर एक आकर्षक वाटिका विकसित की जाएगी।”

उन्होंने यह भी बताया कि
“हरिद्वार में सिंचाई विभाग की अधिकांश भूमि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीन है। उत्तर प्रदेश सरकार ने गंगा मां की देखभाल, रखरखाव एवं जल प्रवाह की सुचारू व्यवस्था हेतु हरिद्वार क्षेत्र में विशेष जिम्मेदारी निर्धारित की है। हम लगातार अवैध कब्जों को हटाकर इन भूमियों को हरित और उपयोगी स्वरूप में बदलने के लिए कार्यरत हैं।” हमारा लक्ष्य है कि हरिद्वार में सिंचाई विभाग की भूमि अवैध कब्जों से मुक्त रहे और पर्यावरण संरक्षण के लिए हरित क्षेत्र विकसित किया जाए। आने वाले समय में यहां जनता के लिए एक सुंदर और शांत वाटिका तैयार होगी।”

इतिहास से जुड़ा तथ्य
गौरतलब है कि ऊपरी गंगा नहर (Upper Ganga Canal) का निर्माण 1854 में ब्रिटिश शासन काल में आरंभ हुआ था, जिसे तत्कालीन अभियंता कर्नल प्रॉबी कॉटन (Proby Cautley) ने डिजाइन किया था। यह नहर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यों की कृषि सिंचाई व्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। स्वतंत्रता के बाद भी इस नहर की देखरेख उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा की जाती रही है, क्योंकि इसका मुख्य स्रोत और तंत्र उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आता है।
आज भी गंगा नहर न केवल सिंचाई का प्रमुख साधन है बल्कि हरिद्वार की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है।इस प्रकार सिंचाई विभाग की यह पहल न केवल अवैध कब्जों पर रोक लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि हरिद्वार की प्राकृतिक सुंदरता को पुनर्जीवित करने का भी प्रयास है।
कार्रवाई के दौरान अधिशासी अभियंता विकास त्यागी, एसडीओ भारत भूषण, डीआरओ मुनेश शर्मा, जेई राजकुमार सागर, पंकज मौर्य, अतुल सिंह, गजेंद्र सिंह, दिनेश वर्मा, देवेंद्र बाबू एवं विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
