एडवोकेट शुभम भारद्वाज
🔸 जयपुर अस्पताल आग में 8 मरीजों की मौत के बावजूद हरिद्वार प्रशासन बेखबर
🔸 बिना फायर सेफ्टी, बिना वेंटिलेशन और बिना इमरजेंसी एग्जिट चल रहा इलाज
🔸 स्थानीय लोगों ने कहा— “यह अस्पताल नहीं, मौत का बेसमेंट है”
हरिद्वार।
शहर के प्रमुख निजी अस्पतालों में गिने जाने वाले देवभूमि हॉस्पिटल में गंभीर लापरवाही और नियमों की खुली धज्जियां उड़ाने का मामला सामने आया है। अस्पताल प्रशासन द्वारा बेसमेंट में अवैध रूप से OPD (Out Patient Department) संचालित की जा रही है। यह न केवल अस्पताल अधिनियम 2010 और नेशनल बिल्डिंग कोड (NBC) 2016 के उल्लंघन में आता है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा भी साबित हो सकता है।
⚠️ नियमावली का खुला उल्लंघन
नेशनल बिल्डिंग कोड (NBC) पार्ट IV (Fire & Life Safety) के अनुसार—
अस्पताल परिसर के बेसमेंट का उपयोग केवल पार्किंग या स्टोरेज के लिए अनुमन्य है।
किसी भी स्थिति में चिकित्सीय सेवाएं या मरीजों की मौजूदगी वहां नहीं होनी चाहिए।
प्रत्येक तल पर फायर एग्जिट, वेंटिलेशन, स्मोक सेंसर और अलार्म सिस्टम अनिवार्य हैं।
लेकिन देवभूमि हॉस्पिटल के बेसमेंट में इन मूलभूत सुरक्षा मानकों की पूरी तरह अनदेखी की गई है। वहां न तो वेंटिलेशन सिस्टम है, न फायर सेफ्टी उपकरण और न ही कोई आपातकालीन निकास द्वार (Emergency Exit)।
😠 स्थानीय लोगों का आक्रोश
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि यह स्थिति बेहद खतरनाक है।
एक नागरिक ने कहा—
“अगर किसी दिन आग लग गई तो यहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं है। जयपुर की घटना से सबक लेने के बजाय यहां मौत को दावत दी जा रही है।”
🩺 मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने बताया—
“हमें इस संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है। टीम को निरीक्षण के निर्देश दिए गए हैं। यदि बेसमेंट में OPD या किसी प्रकार की चिकित्सीय गतिविधि संचालित पाई जाती है तो यह गंभीर उल्लंघन माना जाएगा। दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
🚨 जांच और कार्रवाई की मांग
स्थानीय समाजसेवियों व नागरिकों ने जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन विभाग से मांग की है कि—
तत्काल प्रभाव से देवभूमि हॉस्पिटल का निरीक्षण किया जाए,
नियमों के उल्लंघन पर लाइसेंस निलंबन या सीलिंग कार्रवाई की जाए,
और भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए सभी निजी अस्पतालों का सेफ्टी ऑडिट कराया जाए।
