राजकुमार
हरिद्वार। यूँ तो प्रदेश में घोटालों पर घोटाले हो रहे हैं और समय-समय पर प्रशासन भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई भी कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद कुछ अफसरशाह और जनप्रतिनिधि नियमों को ताक पर रखकर सरकारी योजनाओं को निजी लाभ का जरिया बना रहे हैं। ऐसा ही एक ताज़ा मामला बहादराबाद ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम दीनारपुर से प्रकाश में आया है, जहाँ तालाब सौंदर्यीकरण के नाम पर सरकारी धन का भारी दुरुपयोग किया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मनरेगा योजना के तहत तालाबों की सफाई, गहरीकरण और सौंदर्यीकरण कार्यों के लिए लाखों रुपये का बजट जारी किया गया था। परंतु वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट निकली — ना तो किसी प्रकार की सफाई की गई, ना ही तालाब की स्थिति में कोई सुधार हुआ। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों ने काग़ज़ों में सभी कार्य पूरे दिखाकर बजट का भुगतान कर दिया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि मनरेगा के तहत कार्यरत मजदूरों के नाम पर जो भुगतान होना था, वह वास्तविक मज़दूरों तक पहुंचा ही नहीं, बल्कि उन पैसों को जमीन-जायदाद वाले और सक्षम लोगों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।
यह पूरा मामला आरटीआई (RTI) के माध्यम से उजागर हुआ है, जिसमें यह साफ़ हुआ कि जिन लोगों के नाम पर मजदूरी निकाली गई, उन्होंने न तो कोई कार्य किया और न ही उन्हें किसी तालाब से जुड़ी गतिविधियों की जानकारी है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि तालाब की स्थिति आज भी वैसी की वैसी है — चारों ओर झाड़-झंखाड़, गंदगी और कूड़ा, जबकि काग़ज़ों में उसे ‘संपूर्ण रूप से सौंदर्यीकृत’ दिखाया गया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए तथा सरकारी धन की रिकवरी की जाए।
अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर भ्रष्टाचार पर कब संज्ञान लेता है और दोषियों के विरुद्ध क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।
