राजकुमार
🌳 हरिद्वार, 21 अक्टूबर 2025:
जनपद हरिद्वार के ग्राम कांगड़ी, क्षेत्र से एक गंभीर पर्यावरणीय मामला सामने आया है। यहां बाग मालिक को मुख्य उद्यान अधिकारी हरिद्वार द्वारा केवल 12 आम वृक्षों के पातन (कटान) की अनुमति दी गई थी, परंतु स्थानीय सूत्रों के अनुसार लगभग 115 आम और लीची के वृक्षों को अवैध रूप से काट दिया गया।
अनुज्ञा संख्या: 39/2024-25, विभागीय शर्तों में स्पष्ट उल्लेख था कि
“अनुज्ञा में दी गई संख्या से अधिक वृक्ष काटने पर अनुमति स्वतः निरस्त मानी जाएगी एवं संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।”
लेकिन मौके पर पूरे बाग की सफाई कर कॉलोनी निर्माण की तैयारी शुरू कर दी गई है। यह न केवल उद्यान विभाग की शर्तों का उल्लंघन है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 तथा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की दिशा-निर्देशों का भी घोर उल्लंघन है।
🌱 हाई टेंशन लाइन के नीचे कॉलोनी निर्माण — कई कानूनों का उल्लंघन

मामले की गंभीरता और बढ़ जाती है क्योंकि जिस भूमि पर अब कॉलोनी काटी जा रही है, उसके ऊपर से 132 केवी की हाई टेंशन विद्युत लाइन गुज़र रही है। इसके तहत निम्नलिखित नियमों का उल्लंघन पाया जा रहा है:
Central Electricity Authority (Measures relating to Safety and Electric Supply) Regulations, 2010
Regulation 80 और 81 के तहत हाई टेंशन लाइन के नीचे कोई भी स्थायी निर्माण, भवन, या कॉलोनी विकसित करना प्रतिबंधित है।
सुरक्षा दूरी (Safety Clearance) न रखने पर यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना जाता है।
Uttarakhand Building Construction and Development Bye-Laws, 2011
हाई टेंशन लाइन के नीचे निर्माण हेतु अनुमति देना स्पष्ट रूप से वर्जित है।
National Green Tribunal (NGT) Guidelines, 2014

हरित क्षेत्र (Green Zone) या वृक्षों की भूमि को Residential Use में बदलना, बिना पर्यावरणीय स्वीकृति (Environmental Clearance) के, पर्यावरणीय अपराध की श्रेणी में आता है।
इस प्रकार के कार्यों पर NGT Act, 2010 की धारा 15 एवं 17 के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
🌳 स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की मांग
ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों ने मामले की जांच उच्चस्तरीय समिति से कराने, वृक्ष कटाई और भूमि उपयोग परिवर्तन की सत्यापन रिपोर्ट सार्वजनिक करने, तथा अवैध कॉलोनी निर्माण को तत्काल रोकने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां हरिद्वार की हरियाली, पारिस्थितिक संतुलन, और बिजली सुरक्षा — तीनों के लिए गंभीर खतरा हैं।
🟢 निष्कर्ष:
यह पूरा मामला स्पष्ट रूप से सरकारी अनुमति के दुरुपयोग, वृक्ष संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन, और विद्युत सुरक्षा नियमों की अनदेखी को दर्शाता है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जिलाधिकारी हरिद्वार एवं उद्यान विभाग इस पूरे प्रकरण में क्या कार्रवाई करते हैं —
क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या हरिद्वार की हरियाली फिर किसी और कॉलोनी की भेंट चढ़ेगी?
