एडवोकेट शुभम भारद्वाज
हरिद्वार। ज्वालापुर क्षेत्र में बिजली चोरी का खेल खुलेआम जारी है। क्षेत्र की दर्जनों दुकानों में बिना मीटर व बाईपास कनेक्शन से अवैध रूप से बिजली जल रही है। शिकायत कर्ता ने बिजली विभाग को कई बार इसकी शिकायत की, लेकिन विभागीय अधिकारी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाए हैं।
जानकारी के अनुसार, लगभग तीन महीने पहले लिखित शिकायत के माध्यम से शिकायत कर्ता ने विभाग को स्थिति से अवगत कराया था। बावजूद इसके आज तक विभाग ने न तो कोई चेकिंग अभियान चलाया और न ही बिजली चोरी रोकने के लिए सख्ती दिखाई। इससे साफ झलक रहा है कि विभागीय अधिकारी या तो अनदेखी कर रहे हैं या फिर बिजली चोरी में मिलीभगत के आरोपों से घिरे हैं।
आरटीआई में बड़ा खुलासा – 23 करोड़ खर्च का ब्योरा
उधर, एक आरटीआई कार्यकर्ता ने विभाग से वर्ष 2023-24 के दौरान हुए निर्माण व विकास कार्यों की जानकारी मांगी थी। जवाब में विभाग ने बताया कि इस अवधि में करीब 23 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। लेकिन जब कार्यकर्ता ने इन खर्चों के तहत किए गए कार्यों का स्थलीय निरीक्षण (साइट विज़िट) कराने की मांग की, तो विभाग आनाकानी करने लगा। कार्यकर्ता का कहना है कि अगर पारदर्शिता है तो विभाग को निरीक्षण में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। विभाग का टालमटोल रवैया यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर करोड़ों की राशि किन कार्यों पर खर्च की गई और वे कार्य जमीनी स्तर पर क्यों नहीं दिख रहे।
जनता में आक्रोश
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि एक ओर जहां बिजली चोरी का सीधा नुकसान ईमानदारी से बिल भरने वाले उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर विभाग करोड़ों रुपये खर्च करने के दावे कर रहा है लेकिन उसके परिणाम नजर नहीं आते।
जवाबदेही से बच रहा विभाग
सूत्रों का कहना है कि विभागीय अधिकारी न तो चोरी रोकने में गंभीर हैं और न ही पारदर्शिता बरतने के इच्छुक। बार-बार शिकायत के बावजूद कोई जांच या कार्रवाई न होना भ्रष्टाचार और मिलीभगत की ओर इशारा करता है।