एडवोकेट शुभम भारद्वाज
हरिद्वार। कनखल क्षेत्र की इंदिरा बस्ती में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे का मामला गहराता जा रहा है। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की भूमि पर एक स्थानीय दबंग ने कब्जा कर वहां बहुमंज़िला होटल खड़ा कर दिया है। इस होटल से निकलने वाला गंदा पानी सीधे गंगा नदी में छोड़ा जा रहा है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेशों का भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।
स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि होटल निर्माण के दौरान भी अधिकारियों की आंखें मूंदे रहीं और अब शिकायत के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। लोगों का कहना है कि जब सरकारी विभाग की भूमि पर इस तरह से कब्जा और व्यावसायिक निर्माण हो सकता है तो यह भ्रष्टाचार और मिलीभगत का साफ उदाहरण है।
शिकायतें अनसुनी, कार्रवाई ठप
स्थानीय लोगों ने सिंचाई विभाग व प्रशासन को लिखित शिकायतें भी दीं, लेकिन अब तक केवल नोटिस जारी करने तक ही कार्रवाई सीमित रही है। होटल मालिक न तो भूमि संबंधी कोई वैध दस्तावेज पेश कर पाया है और न ही गंदे पानी की निकासी के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की है। इसके बावजूद होटल का संचालन खुलेआम जारी है।
गंगा संरक्षण कानून की अनदेखी
गंगा में गंदे पानी का गिरना सीधे तौर पर गंगा संरक्षण कानून और NGT के नियमों का उल्लंघन है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का प्रदूषण न केवल धार्मिक दृष्टि से गंगा की पवित्रता को ठेस पहुंचाता है बल्कि जल जीवों और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी गंभीर खतरा है।
लोगों में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
इलाके के लोगों में विभागीय अधिकारियों की चुप्पी और कार्रवाई न होने को लेकर गहरा आक्रोश है। सामाजिक संगठनों और स्थानीय निवासियों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि अवैध होटल पर शीघ्र कार्रवाई कर गंगा में गंदा पानी डालना बंद नहीं किया गया तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों व कब्जेदार के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी सरकारी भूमि को खुर्द-बुर्द करने की हिम्मत न कर सके।
